एक और कथा के अनुसार प्राचीन काल में समुद्रमंथन के उपरांत भगवान शिव जी के निवेदन पर असुरों से अमृत की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं की सहायता कर अमृत का पान देवताओं को कराया था।परंतु भगवान विष्णु जी का दिव्य रूप मोहिनी देखकर महादेव कामातुर हो गए, जिससे उनका वीर्यपात हो गया। इसी वीर्य को लेकर वायुदेव ने भगवान शिव जी के आदेश से वानर राज राजा केसरी की पत्नी देवी अंजना के गर्भ में स्थापित कर दिया। जिसके बाद इस देवी अंजनी के गर्भ से वानर रूप में स्वयं भगवान महादेव ने 11 वें रुद्र अवतार हनुमान जी के रूप में जन्म लिया। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि इन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान श्रीराम जी को अपने आराध्य मान उन्हीं की सेवा में समर्पित किया। कहा जाता समस्त देवताओं ने इनके बाल्यकाल में इन्हें अनेक प्रकार की शक्तियां प्रदान कर इन्हें शक्तिशाली बनाया था तो वहीं श्री राम द्वारा इन्हें अजर अमर रहने का वरदान प्राप्त हुआ था।
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